हम तब तब हारते हैं जब खुद के द्वारा किये जाने वाले बहुत जरूरी कामों के लिये दूसरों पर निर्भर हो जाते हैं।।
आप किसी को प्लान दिखाने इसलिये नही जाते क्योंकि अपलाइन साथ में नही चल रहा।। या फिर आप अपने नीचे की टीम की गहराइयों में इसलिये नही पहुंच पाते क्योंकि उनके ऊपर के बाकि लोग घर में कुंडी मारकर बैठे हैं।। आपसे एक प्रश्न?? अगर आपको किसी का साथ ना भी मिले तो क्या आपके जीवन का फैसला हो जाता है।। अगर कोई आपका साथ नही दे रहा तो क्या आप अपने कार्यों को पूरा नही करोगे।। आप अपने सभी कार्यों को अंजाम दे सकते हैं बस उसके लिए आपको काबिलियत को बढ़ाना पड़ेगा और जो बाकि सक्षम लोग कर सकते हैं आपको भी करना सीखना पड़ेगा।। क्या अपलाइन के सींग लगे हैं जो आपको उनका इंतेज़ार है।। यहां पर मैं एक शब्द का इस्तेमाल करूंगा माफ कीजियेगा ..वो शब्द है "लफंगा" अगर आपका स्पॉन्सर या अपलाइन आपकी नजर में लफंगा टाइप है जिसे किसी की परवाह नही तो भला लफंगों के भरोसे क्या बैठना।। अपनी तरक्की के लिये भला किसी और का मोहताज क्यों होना।। बल्कि आप कुछ ऐसा करो कि आपको देखकर आपकी टीम खुद ही दौड़ना शुरू कर दे।। जिस दिन आपकी टीम आपकी नकल मारना शुरू कर दे समझना कि आप कामयाबी के पथ पर हैं। आप जितने मेहनती और ऊंची सोच के होंगे उतना ह